ख़त मेरे नाम का.........

9:56 AM Edit This 1 Comment »
आया था वह दिल तोड़ने और तोड़ गया भी
आँखों में वह दरिया का असर छोड़ गया भी।

लफ्ज़ों में कही बात नहीं उसने ज़बाँ से
ख़त लिखके मेरे नाम का इक छोड़ गया भी।

करता था रक़ीबों से मेरा ज़िक्र हमेशा
आते ही मेरे बात का रूख़ मोड़ गया भी।

मैंने मुजरिम उसे ठहरा दिया भरी महफिल में
जुर्म कुछ मान गया वह, कुछ छोड़ गया भी।

मेरी बरबादियों के इल्ज़ाम उसी के सर थे
नाम जिसका मेरे लब पे दम तोड़ गया भी।

रचयिता - मुस्तफीज़ अली ख़ान

1 comments:

Himanshu G. Goswami said...

janab aur kaun kaun se hunar dil main chupaye baithe ho, shuruaat aisi hai to anjaam kya hoga, ye gazal achhi lagi,
himanshu giri